Friday, April 1, 2016

Most liked Verses...written by Bismil...

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है


देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है



(ऐ वतन,) करता नहीं क्यूँ दूसर कुछ बातचीत,

देखता हूँ मैं जिसे वो चुप तेरी महफ़िल में है

ऐ शहीद-ए-मुल्क-ओ-मिल्लत, मैं तेरे ऊपर निसार,

अब तेरी हिम्मत का चरचा ग़ैर की महफ़िल में है

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है



वक़्त आने पर बता देंगे तुझे, ए आसमान,

हम अभी से क्या बताएँ क्या हमारे दिल में है

खेँच कर लाई है सब को क़त्ल होने की उमीद,

आशिकों का आज जमघट कूचा-ए-क़ातिल में है

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है



है लिए हथियार दुश्मन ताक में बैठा उधर,

और हम तैयार हैं सीना लिए अपना इधर.

ख़ून से खेलेंगे होली गर वतन मुश्क़िल में है,

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है



हाथ, जिन में है जूनून, कटते नही तलवार से,

सर जो उठ जाते हैं वो झुकते नहीं ललकार से.

और भड़केगा जो शोला सा हमारे दिल में है,

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है



हम तो घर से ही थे निकले बाँधकर सर पर कफ़न,

जाँ हथेली पर लिए लो बढ चले हैं ये कदम.

ज़िंदगी तो अपनी मॆहमाँ मौत की महफ़िल में है,

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है



यूँ खड़ा मक़्तल में क़ातिल कह रहा है बार-बार,

क्या तमन्ना-ए-शहादत भी किसी के दिल में है?

दिल में तूफ़ानों की टोली और नसों में इन्कलाब,

होश दुश्मन के उड़ा देंगे हमें रोको न आज.

दूर रह पाए जो हमसे दम कहाँ मंज़िल में है,

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है



वो जिस्म भी क्या जिस्म है जिसमे न हो ख़ून-ए-जुनून

क्या लड़े तूफ़ान से जो कश्ती-ए-साहिल में है

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में
5 pillers which balance our life are Work,Family,Health,Friends and Spirit.

ज़िन्दगी या सराब


ये रस्ते किधर ले आये हैं
ये वो दर नहीं
ये वो आसमान नहीं
ये वो सितारे नहीं
जो सपनो ने दिखाए हैं

कल जो अपने थे आज पराये  हैं
ये दिन इसी ज़िन्दगी ने दिखाए हैं

क्या पाया सपनो क पीछे भाग के
क्या मिल गया रातों को जाग के
खो गया सुकून ज़िन्दगी का
आज अपनी हालत से  ही हैरान है
ये वो ज़िन्दगी नहीं जिसका अरमान है

चले थे घर से भर के अरमानो की झोली को
छोड़ कर दोस्त यार हमजोली को
पकड़ ली शहर की राह छोड़ कर गाँव की डगर
फले और फूले वहां खुश हो क्या तुम मगर ..

माँ छूटी बाबा छूटे छूट गए सारे संगी
शहर की चौंध में खो गयी दुनिया सतरंगी
ऐसी क्या चाह थी जो भाग कर यहाँ आये
ये तो वो ज़िन्दगी नहीं सपनो ने जो दिखलाये

Sunday, January 5, 2014

Friday, November 11, 2011

barf Pighalne me der kitni lagti hai....


kuch Bhi Ker Guzarne Mein Dair Kitni Lagti Hai
Baraf Ke Pighalne Mein Dair Kitni Lagti Hai

Us Ne Hans Ke Dekha To Muskura Diye Hum Bhi
Zaat Se Nikalne Mein Dair Kitni Lagti Hai

Hijir Ki Tamazat Se Visil Ke Aalao Tak
Larkiyon Ke Jalne Mein Dair Kitni Lagti Hai

Baat Jaise Be Mani Baat Aur Kya Hogi
Baat Se Mukarne Mein Dair Kitni Lagti Hai

Zaa'am Kitna Kerte Ho Ek Chirag Per Apne
Aur Hawa Ke Chalne Mein Dair Kitni Lagti Hai

Jab Yaqeen Ki Bahon Pe Shaq Ke Paa'on Per Jaye
Churiyan Bikhare Mein Dair Kitni Lagti Hai

Wednesday, March 10, 2010

hamara Mulq

A very touching story by Ibne Insha...
ईरान में ईरानी कौम रहती है। ’
‘ इंगलिस्तान में कौन रहता है ?’
‘ इंगलिस्तान में अंग्रेजी कौम रहती है। ’
‘ फ्रांस में कौन रहता है ?’
‘ फ्रांस में फ्रांसीसी कौम रहती है। ’
‘ ये कौन सा मुल्क है ?’
‘ ये पाकिस्तान है। ’
‘ इसमें पाकिस्तानी कौम रहती होगी ?’
‘ नहीं , इसमें पाकिस्तानी कौम नहीं रहती। इसमें सिंधी कौम रहती है। इसमें पंजाबी कौम रहती है। इसमें बंगाली कौम रहती है। इसमें यह कौम रहती है। इसमें वह कौम रहती है। ’
‘ लेकिन पंजाबी तो हिंदुस्तान में भी रहते हैं। सिंधी तो हिंदुस्तान में भी रहते हैं। फिर यह अलग मुल्क क्यों बनाया ?’
‘ गलती हुई , माफ कीजिए। आइंदा नहीं बनाएंगे। ’



Ok we made a mistake and we wont do it again.....but we continued making mistakes again and again.We started a new era as a tryst with destiny. Torn and bleeding india got freedom at the cost of separation in two part namely India and Pakistan.. As mentioned above it is not the race which makes us different. Its the name of same God who we follow with different names. Our religion separeted us from our own brothers. Both religions have concept of Madar e Watan and Matri-Bhumi...We are brother born of same mother. But we made a mistake.... We killed our own brothers and sisters on the name of religion.We filled our hearts with so much hatered for each other that it may take even centuries to be normal again...

Again we made few mistakes after independence. Now country was internally divided on the name of language. Few fanatics demanded new state on the name of language.After the creation of Andhra State in October, 1953, new a chain reaction started and within 20 years there were 20 states formed on the name of langauge.

Separation of people on the name of language, reservation, religion and gender has torn us apart. We are famous for aur unity in diversity.But once this social fabric is torn then even silk patches wont make it beautiful.
Today people are demanding Telanga. Tomorrow some people will ask for separate hyderabad state. Once this demand is accepthed then Gorkhaland, Bhojpur, Poorwanchal, HaritPradesh, Bundlkhand,Vidarbh will emerge automaticaly. People are divided on the name of religion, language, state.We feel proud of being Marathi Manush or Tamil or Bihari but how many of us are really proud of being an Indian.People were divided among general and reserved categories and Men and Women.

Actaully these are the means by which we hide our inefficiency.People try to evade their reponsibilties. They seek reservation so that achievement takes less effort. We dont accept ourself as indian because as a whole because we are a poor nation, our literacy rate is still not upto the mark we are among most corrupt people in world, We are still dependent on other countries be it for food, technology or fuel for our industries.


This is not a way to fight problems. It is jus ostrich's way of avoiding problems. We have to take a stand and make a united india where no one is marathi, gujrati, bihari, tamil,sc st obc, men or woman. Everyone is Indian just indian... Just like What an idea Sirji Ad.....Remember no nation is perfect we have to make it perfect...........Jai Hind.

Wednesday, October 28, 2009

Khud Apni Pehchaan Se Anjaan Hoon Main

Khud Apni Pehchaan Se Anjaan Hoon Main,
Apna Tarruf Aapse Karwaoon Kaise

Kuch Simti Hui Chhoti Si Duniya Hai Meri,
Iss Dil Ki Gehraiyon Mein Aapko Le Jaoon Kaise

Aasman Ki Uchaiyon Tak Mere Khwab Bikhre Hain,
Apne Armaano Ki Hadd Main Dikhaoon Kaise

Muskurana Meri Aadat Hai Aansuon Ko Chhupa Kar,
Par Har Gham Ko Apni Hassi Se Behlaoon Kaise

Dosti Hi Meri Chahat Hai Aur Dost Meri Zindagi,
Ishq Se Apni Berukhi Ka Sabab Bataoon Kaise

Hokar Meri Sarhadon Mein Shamil
Aap Hi Jaan Lo Mujhe,
Kisi Aur Tarah Aapko ~ Azam ~ Se Milwaoon Kaise